फरीदाबाद। हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा एवं पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष चौ. भूपिंदर सिंह हुड्डा के निर्देशानुसार सोमवार को जिला फरीदाबाद के कांग्रेसजनों ने सेक्टर 12 स्थित लघु सचिवालय में भाजपा सरकार द्वारा लाए गए काले अध्यादेशों के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन कर जिला उपायुक्त के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। कांग्रेसियों ने प्रदर्शन के दोरान विरोध स्वरूप काले गुब्बारे भी उड़ाए।
Congress protests by blowing black balloons against Agriculture Bills
Faridabad. As per Haryana Congress President Kumari Selja and former Chief Minister and Leader of Opposition Bhupinder Singh Hooda’s instructions, Congressmen of District Faridabad on Monday submitted a memorandum to the President through District Deputy Commissioner, in protest against the black ordinances brought by the BJP government in the Small Secretariat, Sector 12. Congressmen also flew black balloons as a protest against the protest.
कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार के अध्यादेश कृषि और किसान विरोधी हैं। इसके लिए न तो किसान संगठनों की आवाज सुनी गई और न ही किसानों की। एमएसपी प्रणाली के खत्म होने का मतलब है खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खतरा। कांग्रेस पार्टी आज राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर आज देश के हर किसान के साथ खड़ी है। ये किसान ही हैं, जो दिन-रात, सर्दी-गर्मी-बरसात की परवाह न करते हुए खेतों में खड़ा रहता है और तभी हम सबकी थाली में दो वक्त की रोटी आती है। अगर हम किसान के बारे में नहीं सोचेंगे, तो समझिए कि हम देश के बारे में नहीं सोच रहे। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा तीन कृषि अध्यादेश लाए गए हैं, जो कि पूरी तरह से किसान, मजदूर और आढ़ती विरोधी हैं। इन विधेयकों के जरिए सरकार के कुछ पसंदीदा पूंजीपतियों को लूट की खुली छूट होगी और किसान अपनी फसल बेचने के लिए इन पूंजीपतियों पर निर्भर होंगे। उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाएगा। किसान खेतीबाड़ी के लिए पूंजीपतियों से बंध जाएगा, जिससे किसानों का वजूद समाप्त हो जाएगा। वहीं यह अध्यादेशध्विधेयक हमारे आढ़ती भाइयों के लिए भी साजिश भरे हैं।
कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा बड़े पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए मंडी व्यवस्था को खत्म किया जा रहा है। पहले अध्यादेश के मुताबिक पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कंपनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं। कृषि माल की बिक्री कृषि उपज मंडी समिति में होने की शर्त हटा ली गई है, जिससे मंडी में होने वाली प्रतिस्पर्धा और फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य दोनों समाप्त हो जाएंगे। इस कानून से जहां मंडियां खत्म हो जाएंगी। वहीं किसानों की फसल ओने पौने दामों पर बिकेंगी, जिससे किसानों को भारी नुकसान होगा। जब किसानों के उत्पाद की खरीद मंडी में नहीं होगी, तो सरकार इस बात को रेगुलेट नहीं कर पाएगी कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है या नहीं। इस अध्यादेश में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि किसान व कंपनी के बीच विवाद होने की स्थिति में कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता। देश में 85 फीसदी छोटी खेती करने वाले किसान हैं, जिनकी साल भर की पैदावार इतनी नहीं होती कि वह हर बार पास की मंडी तक भी जा सकें और अपनी फसल बेच सकें। ऐसे में किसान अपनी फसल को किसी दूसरे राज्य की मंड़ी में जाकर बेचें, यह कहना किसी मजाक से कम नहीं है। यदि कोई किसान अपनी फसल बेचने के लिए दूसरे राज्य में पहुंच भी जाए, तो इसकी क्या गारंटी है कि उसको फसल के इतने दाम मिल जाएंगे कि माल, ढुलाई सहित पूरी लागत निकल आएगी?
उन्होंने कहा कि सरकार के नए अध्यादेश के मुताबिक मंडी के अंदर फसल आने पर मार्केट फीस लगेगी और मंडी के बाहर बिकने पर मार्केट फीस नहीं लगेगी। ऐसे में कोई मंडी में माल क्यों खरीदेगा और इस स्थिति में मंडियां धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी। मंडियों के समाप्त होने से मंडियों द्वारा सम्बद्ध क्षेत्र में कराए जाने वाला विकास कार्य भी ठप्प हो जायेगा। दूसरे अध्यादेश ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम संसोधन’ के तहत अनाज, दालों, प्याज, आलू इत्यादि को जरूरी वस्तु अधिनियम से बाहर कर दिया गया है, इनकी स्टॉक सीमा समाप्त कर दी गई है। इससे अत्यधिक स्टॉक करके इन चीजों की कालाबाजारी होगी और ग्राहकों को महंगे दामों पर इन्हें बेचा जाएगा। तीसरे अध्यादेश में कॉन्टैक्ट फार्मिंग के माध्यम से किसानों का वजूद समाप्त करने की साजिश रची गई है। इस कानून के माध्यम से अनुबंध आधारित खेती को वैधानिकता प्रदान की गई है, ताकि बड़े पूंजीपति और कंपनियां अनुबंध के माध्यम से ठेका आधारित खेती कर सकें। किसान खेतीबाड़ी के लिए इनसे बंध जाएगा, जिससे किसानों का वजूद समाप्त हो जाएगा। पूंजीपति और कंपनियां जिस चीज की खेती कराएंगे, किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से ही फसलों का उत्पादन करना पड़ेगा। ऐसा होगा तो किसानों को बीज-खाद से लेकर फसल बेचने तक के लिए इन पर निर्भर रहना पड़ेगा। फसलों के दाम, किसान से कब फसल खरीदी जाएगी, कब भुगतान किया जाएगा, सब कुछ उस पूंजीपति या कंपनी के हाथ में होगा और इस तरह किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएंगे। कांग्रेस पार्टी यह मांग करती है की किसान, मजदूर और आढ़ती विरोधी यह तीनों कृषि विधेयक तुरंत पुनर्विचार के लिए वापिसं भेजे जाएं।
उन्होंने कहा कि किसानों की फसल के एक-एक दाने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी दी जाए। कुरुक्षेत्र में लाठीचार्ज के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए और घायलों को मुआवजा दिया जाए। सरकार किसानों की सफेद मक्खी या जलभराव से खराब हुई फसल की गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, इस योजना का लाभ किसानों को दिया जाए। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ जिन किसानों को नहीं मिल पा रहा है, उनको भी लाभ दिया जाए एवं 26 गांवों को फरीदाबाद नगर निगम में शामिल करने के प्रस्ताव को रद्द किया जाए क्योंकि इस प्रस्ताव से इन गांवों के लोगों में काफी आक्रोश है व ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। वर्तमान समय में फरीदाबाद नगर निगम के वार्डों की हालत दयनीय है। इसलिए फरीदाबाद नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली को देखते हुए एवं ग्रामीणों की मांग के मद्देनजर सीमा विस्तार के इस प्रस्ताव को निरस्त किया जाए।
विरोध प्रदर्शन की अध्यक्षता पूर्व विधायक चौ. रघुवीर सिंह तेवतिया जी ने की।
इस दौरान पूर्व विधायक आनंद कौशिक, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय प्रताप सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पं. योगेश गौड़, प्रदेश कांग्रेस महासचिव बलजीत कौशिक, प्रदेश प्रवक्ता योगेश कुमार ढींगरा, प्रदेश प्रवक्ता सुमित गौड़, प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र चंदेलिया, पूर्व वरिष्ठ उप महापौर पं. मुकेश शर्मा, जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष तरुण तेवतिया, प्रदेश सचिव राजन ओझा, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यवीर डागर, पूर्व पार्षद जगन डागर, प्रदेश कांग्रेस कोऑर्डिनेटर गौरव ढींगरा, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मनोज अग्रवाल, युवा कांग्रेस नेता वरुण रघुबीर तेवतिया, फरीदाबाद विधानसभा युवा कांग्रेस अध्यक्ष नितिन सिंगला, एआईपीसी के जिला अध्यक्ष डॉ. सौरभ शर्मा, दयाशंकर गिरी, पूर्व उप महापौर गजेंदर भामला, बल्लभगढ़ युवा कांग्रेस अध्यक्ष चुन्नू राजपूत, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मनोज नागर,एसएल शर्मा, कृष्ण अत्री, सुभाष कौशिक, बाबूलाल रवि, अशोक रावल, संजय सोलंकी, अनीश पाल, आदि अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता उपस्थित रहे।